रविवार, 25 जुलाई 2010

इसका क्या मतलब है



ड्योढी के टाट पर
खीरे के पात की हरी छाँह के नीचे
मेरी बाट जोह रही होगी मेरी लालसा….

रात की शाखों से उतरकर रोज़
गिलहरी की तरह फुदकती हुई
मुझे खोज रही होगी मेरी नींद…

मेरे स्वप्न
मेरी अनुपस्थिति पर सर रखकर सो रहे होंगे
और मेरे हिस्से का आसमान
अनछुए ही धूसर हो रहा होगा…

इसका क्या मतलब है
कि जहाँ लौट पाना अब लगभग असंभव है
वहीं सबसे सुरक्षित है मेरा वजूद ?


समय को चीरकर (कविता संग्रह;1998) से,
प्रकाशक:आधार प्रकाशन प्रा लिमिटे़ड,पंचकूला(हरियाणा)