tag:blogger.com,1999:blog-4017565450105192925.post6415125539789626330..comments2023-10-23T12:08:48.050-07:00Comments on आवाहन...: अकेले ही नहींकृष्णमोहन,http://www.blogger.com/profile/16977057376393343009noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-4017565450105192925.post-47214000848400645032009-11-23T03:51:15.859-08:002009-11-23T03:51:15.859-08:00मैं भी ले जाउँगा अपने साथ
कलम की निब भर धूप
आँख भर...मैं भी ले जाउँगा अपने साथ<br />कलम की निब भर धूप<br />आँख भर जल<br />नाखून भर मिट्टी और हथेली भर आकाश <br />अन्यथा मेरे पास वह कौन सी चीज़ बची रहेगी<br />कि दूसरी दूनिया मुझे पृथ्वी की संतति कहेगी!<br /><br />वाह..... बहुत ही सशक्त लेखन है आपका ....!!हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4017565450105192925.post-54043142433931858022009-11-12T05:10:28.125-08:002009-11-12T05:10:28.125-08:00माधव, 'अकेले ही नहीं' मेरी प्रिय कविताओं म...माधव, 'अकेले ही नहीं' मेरी प्रिय कविताओं में से एक है। मैंने इसे कई बार पढा है। यह बहुत उम्मीद जगाती है। समझो, हम जैसे लोग जिनके जीवन मे निरर्थकताऐं भरी पडी है, यह बहुत से अर्थ ढूंढ लाती है।विनोदnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4017565450105192925.post-86067192154425079702009-11-11T03:27:01.035-08:002009-11-11T03:27:01.035-08:00क्या बात है कविता के बहाने इस नये विचार पर बधाई. ...क्या बात है कविता के बहाने इस नये विचार पर बधाई. <br />- प्रदीप जिलवाने, खरगोन म.प्र.प्रदीप जिलवानेhttps://www.blogger.com/profile/08193021432011337278noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4017565450105192925.post-28152962471372701012009-11-04T19:40:04.639-08:002009-11-04T19:40:04.639-08:00"मैं भी ले जाउँगा अपने साथ
कलम की निब भर धूप
..."मैं भी ले जाउँगा अपने साथ<br />कलम की निब भर धूप<br />आँख भर जल<br />नाखून भर मिट्टी और हथेली भर आकाश<br />अन्यथा मेरे पास वह कौन सी चीज़ बची रहेगी<br />कि दूसरी दूनिया मुझे पृथ्वी की संतति कहेगी!"<br /><br />मैं निःशब्द अविरत देख रहा हूँ इस रचनाधर्मिता को । <br />आभार ।Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.com