रविवार, 22 फ़रवरी 2009
पुकार
यदि ठीक से पुकारो
तो चीज़ें फिर आ सकती हैं तुम्हारे पास
यह जो अवकाश
तुम्हारे विगत और वर्तमान के बीच
एक मरुथल सा फैला हुआ है
( तुम्हारे विस्मरण से
तुम्हारा आत्म जो इस तरह मैला हुआ है )
वह कुछ और नहीं
शब्द और अर्थ के बीच की दूरी है केवल
विकलता के सबसे गहन क्षण में जिसे
एक आरक्त पुकार से किया जा सकता है तय
शर्त सिर्फ़ यह है
कि उसे
आकांक्षा की अंतिम छोर पर जाकर पुकारा जाय
एक दिन
जब मैं अपनी भाषा के बन में
खोए हुए एक शब्द के लिए भटक रहा था
यहाँ से
वहाँ
और सोच नहीं पा रहा था कि जाऊँ कहाँ
कि अचानक
असंख्य रन्ध्रों से मुझे फोड़ती हुई
ज्वार की तरह एक पुकार निकली-
जीतपुर!
और मैंने पाया कि अर्थ से डबडबाया हुआ
पके जामुन की तरह भीगा हुआ एक शब्द
अपने डैने फैलाए हुए
मेरी जीभ पर उतर आया है…
ऐसा ही एक और वाकया है
जब शहर से मैं
छोड़े गए तीर सा लौट रहा था अपने घर
और भरी हुई स्मृतियों के साथ
सूखी नदी पार कर रहा था
तब अपनी आँखें बन्द करते हुए मैंने
मन ही मन ज़ोर से पुकारा बिछुड़े हुए दोस्तों के नाम
कि रेत में खोए हुए जिए हुए किस्से तमाम
नाव की चोट बनकर
मेरे घुटनों में कचकने लगे
और मैंने देखा-
धूल उड़ाते शोर मचाते
चालीस बरस पुराने बच्चों को अपने साथ
दौड़कर अपनी ही तरफ आते हुए…
अपने अनुभव से जानता हूँ मैं
कि जिस तरह लोग
दरवाजे पर होनेवाले दस्तक को ही नहीं
ख़ुद अपनी आवाज को भी अनसुना कर देते हैं
चीज़ें उस तरह सुनना बन्द नहीं करतीं
बल्कि वे
हमारी विस्मृति की ओट में बैठी हुईं
हर सच्ची पुकार के लिए उत्कंठित रहती हैं
उनकी अपेक्षा हमसे अगर कुछ है
तो वह यह
कि जब भी पुकारा जाय उन्हें
सही समय पर सही नाम से पुकारा जाय
एक अदृश्य हाथ से भयभीत
रात भर दड़बे में छटपटाता हुआ मुर्गा
जब ओस से भीगी हुई धरती को पुकारता है
तो अगले दिन के शोरबे और स्वाद को निरस्त करता हुआ
एक विस्फोट की तरह प्रकट होता है सूर्य
जब कुत्ते की जीभ से
टप्-टप् चू रहा होता है दोपहर का बुख़ार
तब फटे होंठ सूखे कंठ और सूनी आँखों की पुकार पर
वृक्षों को हहराती पत्तों की कलीन बिछाती धूल की पतंग उड़ाती हुई
एक जादूगरनी की तरह प्रकट होती है हवा
जब दुःख में आकंठ डूबा रहता है तन-मन
जब ख़ुद जीना बन जाता
मृत्यु का तर्पण
तब एक धधकती पुकार ही फिर से संभव करती है वह क्षण
जब जीने का मकसद
मरने के कारण में मिल जाता है
यद्यपि मुझे पता है
कि अपनी बात को प्रमाणित करने के लिए
फिलहाल कुछ भी नहीं है मेरे पास
लेकिन मेरे अन्तःकरण के जल में झिलमिलाता है
एक छोटा सा विश्वास
कि जिन्हें हम कहते हैं चीज़ें
और जिसके प्रभामय स्पर्श के लिए मर-मर कर जीते हैं
पुकार हैं वे-
उत्कटता के सघनतम क्षणों में
हमारे रक्त से पैदा हुए असाध्य अर्थों की पुकार
और जिसे हम ईश्वर के नाम से पुकारते हैं बार-बार
वस्तुतः इन्हीं पुकारों का एक विराट समुच्चय है वह
जिसके सुमिरन के लिए लिखी जाती हैं कविताएँ
जिसके आवाहन के लिए किया जाता है प्रेम
और जिसे पाने के लिए प्राण दिए जाते हैं
फ़र्क पड़ता है
सिर्फ़ बस्ती के उजड़ने से नहीं
सिर्फ़ आदमी के मरने से नहीं
सिर्फ़ गाछ के उखड़ने से नहीं
एक पत्ती के झड़ने से भी फ़र्क पड़ता है
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बहुत सुंदर। धरती पर सुंदर सिर्फ कविता है। विडंबनाओं, आडंबरों, दुर्घटनाओं,विस्मृति, स्मृति आदि आदि की लाइब्रेरी है कविता। हर शब्द एक किताब की तरह पड़ी है इस लाइब्रेरी। बस धूल झाड़िये और पढ़ डालिये। लिखते रहिए।
जवाब देंहटाएंदोस्त लिखते हैं तो कविता दोस्त लगती है।
हिन्दी चिट्ठाजगत में आपका हार्दिक स्वागत है. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाऐं.
जवाब देंहटाएंएक निवेदन: कृप्या वर्ड वेरीफिकेशन हटा लें तो टिप्पणी देने में सहूलियत होगी.
स्वागत है।
जवाब देंहटाएंब्लोगिंग जगत में स्वागत है
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना के लिए शुभकामनाएं
भावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है।
लिखते रहिए लिखने वालों की मंज़िल यही है ।
कविता,गज़ल और शेर के लिए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
मेरे द्वारा संपादित पत्रिका देखें
www.zindagilive08.blogspot.com
आर्ट के लिए देखें
www.chitrasansar.blogspot.com
आपकी अभिव्यक्ति का स्वागत है
जवाब देंहटाएंकि जिस तरह लोग
जवाब देंहटाएंदरवाजे पर होनेवाले दस्तक को ही नहीं
ख़ुद अपनी आवाज को भी अनसुना कर देते हैं
चीज़ें उस तरह सुनना बन्द नहीं करतीं
बल्कि वे
हमारी विस्मृति की ओट में बैठी हुईं
हर सच्ची पुकार के लिए उत्कंठित रहती हैं
आपकी कविता ने सच कहूँ मन को उद्वेलित ही कर दिया है.......आपने सचमुच गजब ही लिख दिया है.........आपका आभार.........!!और खुदा का स्नेह .........!!
बहुत सुन्दर रचना है। बधाई।
जवाब देंहटाएंअच्छी कविता
जवाब देंहटाएंब्लोगिंग जगत में स्वागत है
शुभकामनाएं
from darddilka
हिंदी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है ,मेरी शुभकामनाएं ...........
जवाब देंहटाएंBloging ki dunia mein aapka tahedil se swagat hai.......likhte rahiye....aur apne naye vichar nayi soch se avgat karaate rahiye....sadhanyavaad
जवाब देंहटाएंKeep it up